Rajasthan Election 2023: एक तरफ पायलट के साथ संघर्ष, दूसरी तरफ गहलोत की कल्याणकारी योजनाएं, क्या कांग्रेस को होगा फायदा?

Rajasthan Election 2023: राजस्थान उन कुछ राज्यों में से एक है, जहां कांग्रेस की सरकार है। यहां के चुनाव पर काफी उत्सुकता से नजर रखी जाएगी, क्योंकि इन नतीजों से पता चल जाएगा कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हवा किस तरफ बह रही है। 200 सीटों वाले राजस्थान में 23 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी

अपडेटेड Nov 24, 2023 पर 6:41 PM
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Rajasthan Election 2023: एक तरफ पायलट के साथ संघर्ष, दूसरी तरफ गहलोत की कल्याणकारी योजनाएं, क्या कांग्रेस को होगा फायदा?

Rajasthan Election 2023: क्या कांग्रेस (Congress) राजस्थान को बरकरार रखने के लिए 1998 से चली आ रही हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा को तोड़ पाएगी? क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच झगड़ा BJP को बढ़त दिलाएगा? राजस्थान उन कुछ राज्यों में से एक है, जहां कांग्रेस की सरकार है। यहां के चुनाव पर काफी उत्सुकता से नजर रखी जाएगी, क्योंकि इन नतीजों से पता चल जाएगा कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हवा किस तरफ बह रही है। 200 सीटों वाले राजस्थान में 23 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।

क्या है कांग्रेस की ताकत?

OBC और महिलाओं को छूने वाली कल्याणकारी योजनाओं की श्रृंखला और सीएम अशोक गहलोत का जन संपर्क कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जो कांग्रेस के पक्ष में काम कर सकते हैं। जिसने आगामी चुनावों के लिए 'काम किया है दिल से, कांग्रेस फिर से' का नारा दिया है।


इसके अलावा, कांग्रेस एक संयुक्त मोर्चा बनाकर, सचिन पायलट और गहलोत के बीच शांति कायम में भी कामयाब रही है। पायलट और गहलोत के बीच मतभेद दूर होने से कांग्रेस का सिरदर्द कम हो जाएगा, क्योंकि राज्य इकाई पिछले 2-3 सालों से गुटबाजी से जूझ रही है।

पायलट, 2020 में अपने विद्रोह के बाद डिप्टी सीएम के पद से हटाए जाने के बावजूद, युवाओं के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं। इतना ही नहीं 2013 में अपनी सबसे खराब हार के बाद भी 2018 में कांग्रेस की जीत के पीछे प्रमुख नेताओं में से एक थे, जहां पार्टी ने सिर्फ 21 सीटें जीती थीं।

इसके अलावा, कांग्रेस अलग-अलग जाति समूहों और OBC की मांगों के बाद कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ राज्यव्यापी जाति जनगणना की गहलोत की घोषणा पर भी रोशनी डालेगी।

चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, जो लाभार्थियों को 25 लाख रुपए का सालाना कवर देती है, शहरी क्षेत्रों के लिए मनरेगा जैसी रोजगार योजना, उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए 500 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर, महिलाओं के लिए स्मार्टफोन और सामाजिक सुरक्षा भत्ता लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए हैं। मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर भी प्रकाश डालेगी।

क्या हैं कांग्रेस की कमजोरियां?

पिछले एक साल में 10 से ज्यादा बार राजस्थान का दौरा कर चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार, सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध और दलितों के खिलाफ अत्याचार को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है।

इसके अलावा, पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के डिटेल वाली "लाल डायरी" रखने के दावे को भी बीजेपी ने उठाया है। बीजेपी ने कांग्रेस पर किसानों की कर्जमाफी का वादा पूरा न करने का भी आरोप लगाया है।

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इसके अलावा, भले ही कांग्रेस गहलोत और पायलट के बीच सब कुछ ठीक होने का दावा कर रही हो, लेकिन पार्टी में गुटबाजी जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच गहरी है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में, गहलोत के सहयोगी और कांग्रेस विधायक दानिश अबरार को "पायलट के गद्दारों को, गोली मारो..." के नारों का सामना करना पड़ा, जब वह अपने सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर रहे थे।

इसके अलावा, कई राज्य इकाई के पदाधिकारियों और जिला अध्यलक्षों को चुनाव से कुछ महीने पहले जुलाई में नियुक्त किया गया था, जिससे उन्हें मुद्दों को संबोधित करने के लिए बहुत कम समय मिला।

कांग्रेस के पास क्या है अवसर?

BJP की राज्य इकाई भी गुटबाजी से ग्रस्त है, ऐसे में कांग्रेस के पास सत्तारूढ़ दल के दोबारा सत्ता में न आने के 25 साल पुराने ट्रेंड को तोड़ने का मौका है।

पुरानी पेंशन योजना की बहाली, जिससे लगभग सात लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों को लाभ हुआ है। उससे भी कांग्रेस को अतिरिक्त लाभ मिलेगा।

अगर कांग्रेस पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) में देरी करने वाले केंद्र के बारे में मतदाताओं को समझाने में सफल हो जाती है, तो भी उसे कुछ वोट मिल सकते हैं।

क्या कहते हैं चुनाव से पहले सर्वे?

सीएम गहलोत ने खुद दावा किया है कि इस बार कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़ रहा है, ओपिनियन पोल में कांटे की टक्कर और बीजेपी को हल्की बढ़त का संकेत मिल रहा है।

ABP-CVoter के नए सर्वे ने संकेत दिया है कि बीजेपी 127 से 137 सीटों के बीच जीत हासिल कर रेगिस्तानी राज्य पर दोबारा कब्जा कर लेगी।

सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी के लिए बहुमत का आंकड़ा 101 है। बीजेपी को लगभग 46 फीसदी वोट मिलने की संभावना है, जो 2018 के चुनाव में मिले 38 फीसदी से ज्यादा है। कांग्रेस को 42 फीसदी वोट शेयर के साथ 59 से 69 सीटें मिलने की संभावना है।

दिलचस्प बात ये है कि लगभग 53 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस को काफी नुकसान होगा। हालांकि, 34 फीसदी अप्रूवल रेटिंग के साथ गहलोत मतदाताओं के बीच पसंदीदा सीएम उम्मीदवार बने हुए हैं। बीजेपी की वसुंधरा राजे 22 फीसदी के साथ दूसरे और सचिन पायलट 18 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर हैं।

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