राजस्थान ने एक बार फिर कोई राजनीतिक पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी करने में नाकाम रही है। इस राज्य में 1993 से यह पैटर्न देखने को मिल रहा है, जब भैरो सिंह शेखावत राज्य के मुख्यमंत्री बने थे और बीजेपी को काफी सीटें मिली थीं। इस बार बीजेपी का वोट मार्जिन पिछले 30 साल में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा रहा है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 1.65 करोड़ वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 1.56 करोड़ वोट मिले। पिछले 30 साल की बात करें, तो बीजेपी को 2013 में 37 लाख वोटों का मार्जिन मिला था।
राजस्थान में हर बार चुनाव में सत्ता बदल जाती है और यहां सिर्फ दो पार्टियां ही सत्ता की दावेदारी में शामिल रही हैं- कांग्रेस और बीजेपी। राज्य में बीजेपी ने 1993, 2003, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 1998, 2008 और 2018 में सरकार बनाई। 2003 में बीजेपी का जीत का मार्जिन 8 लाख वोट था, जबकि 1993 में यह आंकड़ा महज 1 लाख था। 1998 से 2018 के दौरान, मुख्यमंत्री की कुर्सी अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के बीच घूमती रही। कांग्रेस के सत्ता में आने पर गहलोत सीएम बने, जबकि बीजेपी के जीतने पर वसुंधरा राजे को ताज मिला।
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 39.53 प्रतिशत रहा, जबकि बीजेपी को 41.69 पर्सेंट वोट मिले। पिछले 30 साल के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए, तो इससे पहले 2 बार ही वोट प्रतिशत का अंतर मौजूदा आंकड़ों से ज्यादा रहा था। सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत का अंतर 2013 में रहा था, जब बीजेपी को 45.5 प्रतिशत वोट के साथ 163 सीटें मिली थीं। उस वक्त कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं और इसे 33.31 प्रतिशत वोट मिले थे।
दिलचस्प बात यह है कि दोनों पार्टियों ने भले ही कितनी भी कम सीटें क्यों नहीं जीती हो, लेकिन इनका वोट शेयर कभी भी 33 पर्सेंट से कम नहीं हुआ। बीजेपी को सबसे कम सीटें 1998 के विधानसभा चुनाव में मिली थीं। उस वक्त पार्टी को महज 33 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस ने 2013 में 21 सीटें हासिल की थीं। कांग्रेस ने सबसे बड़ी जीत 1998 में हासिल की थी, जब उसे 153 सीटें मिली थीं। इसी तरह, बीजेपी को 2013 में 163 सीटें मिली थीं।