BJP मध्य प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। पार्टी सत्ता विरोधी लहर को मात देने में कामयाब रही है। उसके सामने बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई जैसी चुनौतियां भी थीं। इसके बीच पार्टी ने महिला मतदाताओं पर फोकस करने का फैसला किया। ऐसी योजना को अपना हथियार बनाया जो महिलाओं का दिल जीत सकती थी। मध्य प्रदेश में 5.6 करोड़ वोटर्स हैं। इनमें महिलाएं 2.7 करोड़ हैं। कुल 230 विधानसभा क्षेत्रों में से 29 में महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा है। चुनाव से 8 महीने पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी स्ट्रेटेजी की स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी। 1 मार्च, 2023 को बजट की शुरुआत वित्तमंत्री जगदीश देवदा ने एक श्लोक से की। उन्होंने भगवान महाकालेश्वर से प्रार्थना की। भगवाना महाकालेश्वर मध्य प्रदेश के उज्जैन में हैं। यह देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस बजट में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के लिए 8,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। चौहान ने इस स्कीम को लॉन्च करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर बताया।
महिलाओं को पसंद आई लाडली बहना योजना
लाडली बहना योजना में राज्य की 1.2 करोड़ महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये मिलते हैं। इसे बढ़ाकर 3,000 रुपये करने का प्लान है। इसे कांग्रेस की महिलाओं के लिए घोषित योजना का जवाब मांगा गया, जिसमें हर महिला को हर महीने 1,500 रुपये देने का वादा किया गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, "यह स्कीम 1,000 रुपये से शुरू की गई है, लेकिन मैं सिर्फ 1000 रुपये नहीं दूंगा। इसे बढ़ाकर 1,200 और 1,500 रुपये किया जाएगा। अगले साल पैसे का इंतजाम होने पर इसे बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दिया जाएगा।"
शिवराज ने लाडली बहन स्कीम का फायदा उठाने के लिए न्यूनतम उम्र 23 साल से घटाकर 21 साल कर दी। इस योजना के लाभार्थियों की संख्या अब 1.32 करोड़ पहुंच गई है। मध्य प्रदेश में देश में महिलाओं के लिए 5- फीसदी आरक्षण का ऐलान करने वाला देश का पहला राज्य है। इसके तहत पंचायत और शहरी निकायों के चुनावों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित हैं। सरकार ने पुलिस बल में भी महिलाओं के लिे 30 फीसदी रिजर्वेशन का ऐलान किया है। महिलाओं के नाम से संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर भी रियायत दी जाती है। ऐसा लगता है कि महिला वोटर्स पर फोकस बढ़ाने का फायदा भाजपा को मिला है।
लाडली बहना योजना पर बड़ा दांव
एक्सपर्ट्स का कहना है कि लाडली बहन योजना की सफलता को देखते हुए भाजपा अगले लोकसभा चुनावों में इसे अपना बड़ा चुनावी हथियार बना सकती है। इसकी वजह यह है कि पिछले कुछ सालों में महिला वोटर्स की सक्रियता बढ़ी है। वे खुलकर वोट देने जाती हैं। कई निर्वाचन क्षेत्रों में तो महिलओं के मतदान का अनुपात पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होता है। यहीं वजह यह है कि अब राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को अलग वोट बैंक के रूप में देखने लगी हैं।