MP Election 2023: मध्य प्रदेश में चुनाव दर चुनाव बढ़ा महिलाओं का वोट प्रतिशत, लोकलुभावन योजनाओं से क्या होगी मामा की नैया पार?
MP Election 2023: भले ही CM शिवराज का ये फैसला दिखने में सामाजिक लगता हो, लेकिन इसके पीछे उससे कहीं ज्यादा बड़ा राजनीतिक कारण भी है। आखिर महिलाओं को लेकर ही शिवराज चौहान इतनी बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा क्यों कर रहे हैं। इस सवाल का जवाब मिलेगा, राज्य के पिछले विधानसभा चुनावों में महिलाओं का बढ़ता वोट प्रतिशत और लगातार बढ़ती महिला वोटरों की संख्या
MP Election 2023: लोकलुभावन योजनाओं से क्या होगी मामा शिवराज की नैया पार?
MP Election 2023: मध्य प्रदेश (MP) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के मद्देनजर एक बार फिर महिला वोटरों को लुभाने की कवायद की है। शिवराज सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में महिलाओं के आरक्षण को बढ़ा कर 35% कर दिया, जो पहले 30% था। भले ही CM शिवराज का ये फैसला दिखने में सामाजिक लगता हो, लेकिन इसके पीछे उससे कहीं ज्यादा बड़ा राजनीतिक कारण भी है। हालांकि, ये कोई पहला मौका नहीं है, जब शिवराज ने महिला कल्याण से जुड़ा कोई बड़ा फैसला लिया। साल 2007 में उन्होंने 'लाडली लक्ष्मी योजना' शुरू की थी और तब से वह बन गए थे 'मामा' शिवराज।
इसके बाद हाल ही में शिवराज चौहान ने 'लाडली बहना योजना' भी लॉन्च की। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में घरेलू LPG सिलेंडर की कीमत 450 करने का भी ऐलान किया। इसके अलावा अगस्त में महिलाओं के बैंक अकाउंट में 250 रुपए का 'राखी शगुन' भी भेजा गया। ये सब योजना, घोषणा और ऐलान, ऐसे समय में हुआ, जब राज्य विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है।
आगे बढ़ने से पहले एक नजर CM शिवराज सिंह चौहान की 'लाडली लक्ष्मी योजना' और 'लाडली बहना योजना' पर भी डाल लेते हैं।
लाडली लक्ष्मी योजना के तहत सरकार की ओर से बेटी के जन्म से (रजिस्ट्रेशन) अगले पांच साल तक हर साल 6,000 रुपए उसके नाम से जमा किए जाते हैं। इस स्कीम के तहत सरकार हर साल 6000 रुपए के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) खरीदती है और इसे समय-समय पर रिन्यू करती रहती है।
लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को 1000 रुपए दिए जाएंगे। इस योजना में राज्य की लगभग 1 करोड़ महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य है। सरकार ने लाडली बहन योजना के लिए बजट में प्रतिवर्ष 12000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
इसके अलावा, शिवराज सरकार ने महिलाओं और लड़कियों के लिए मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना और मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना जैसी योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
अब आते हैं इसके राजनीतिक पहलू पर कि आखिर महिलाओं को लेकर ही शिवराज चौहान इतनी बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा क्यों कर रहे हैं। इस सवाल का जवाब मिलेगा, राज्य के पिछले विधानसभा चुनावों में महिलाओं का बढ़ता वोट प्रतिशत और लगातार बढ़ती महिला वोटरों की संख्या।
चुनाव दर चुनाव बढ़ा महिलाओं का वोट प्रतिशत
1962 के विधानसभा चुनाव आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उस साल केवल 29.07% महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। 1967 में ये आकंड़ा बढ़कर 41.8% हो गया और 1972 में 44.37%। हालांकि, इसके बाद के दो विधानसभा चुनावों में कम महिलाओं ने मतदान किया- जैसे 1977 में 43.22% और 1980 में 39.39%।
1985 में संख्या फिर से बढ़ी क्योंकि 41.4% महिला मतदाताओं ने मतदान किया। तब से इसमें लगातार बढ़ोतरी हुई है। राज्य के विभाजन और छत्तीसगढ़ के गठन से दो साल पहले, 1998 में महिला मतदाताओं के मतदान का आंकड़ा 50% के आंकड़े को पार कर गया था, तब 53.53% मतदान हुआ था। 2003 में ये 62.14%, 2008 में 65.91%, 2013 में 70.09% और 2018 में रिकॉर्ड 74.01% था।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सत्य प्रकाश शर्मा का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान की छवि एक जनता के नेता के रूप में बनी है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही वे लगातार महिला कल्याण पर जोर देते आए हैं और उससे जुड़ी कई अहम योजनाएं लाते रहे हैं।
सीएम शिवराज के सरकारी नौकरी में महिलाओं का आरक्षण बढ़ाने के फैसले को डॉ. शर्मा एक मास्टरस्ट्रोक बताते हैं। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश पिछले कोई भी चुनाव आप देख लीजिए, आपको पता चलेगा कि पुरुषों और महिलाओं के वोट प्रतिशत में कोई ज्यादा बड़ा अंतर नहीं है। महिलाएं चुनाव एक अहम रोल अदा करती हैं। अब अगर ऐसे में एक प्रतिशत वोट भी बीजेपी के पक्ष में चला गया है, तो उसकी जीत हो सकती है।
महिला वोटर की संख्या में भी इजाफा
चुनाव आयोग राज्य के मतदाताओं की फाइनल जारी करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 29 पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। इनमें से 25 या तो आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित हैं या फिर उनमें बड़ी आदिवासी आबादी है। 10 महीने से भी कम समय पहले 18 सीटें ऐसी थीं, जिन पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा थी।
राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में कुल 5.6 करोड़ मतदाता राजनीतिक दलों के भाग्य पर मुहर लगाएंगे। मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुपम राजन ने कहा कि अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, राज्य में कुल 5,60,60925 सामान्य मतदाता हैं और इनमें से 2,88,25607 पुरुष हैं, जबकि 2,72,33,945 महिलाएं हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरी समरी रिविजन के दौरान कुल 24,33,965 नाम जोड़े गए और 75,0175 नाम हटाए गए। इस तरह कुल मिलाकर मतदाता सूची में 16,83,790 वोटर्स की संख्य बढ़ी है।