Chhattisgarh Assembly Elections 2023: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता और छत्तीसगढ़ सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दम पर सत्ताधारी कांग्रेस (Congress) को उम्मीद है कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में उसे फिर से जीत मिलेगी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) कथित घोटालों, तुष्टिकरण की राजनीति और 'धर्मांतरण' को लेकर फिर से सत्ता हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। छत्तीसगढ़ में आमतौर पर BJP और कांग्रेस सबसे प्रमुख राजनीतिक दल माने जाते हैं। राज्य में कुछ अन्य राजनीतिक दल भी हैं लेकिन उनका प्रभाव कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। हालांकि, इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) BJP और कांग्रेस के गढ़ को भेदने की कोशिश कर रही है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (BJP) उन 9 सीटों पर अधिक जोर लगा रही है जहां वह इस राज्य के गठन के बाद कभी भी नहीं जीत सकी है। छत्तीसगढ़ में सीतापुर, पाली-तानाखार, मरवाही, मोहला-मानपुर, कोंटा, खरसिया, कोरबा, कोटा और जैजैपुर ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां 15 साल तक शासन करने के बाद भी BJP को कभी सफलता नहीं मिली। इनमें से सीतापुर, पाली-तानाखार, मरवाही, मोहला-मानपुर और कोंटा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है, जबकि अन्य चार सामान्य वर्ग की सीट हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ का गठन होने के बाद राज्य में 2003 में विधानसभा का पहला चुनाव हुआ था। तब बीजेपी ने अजीत जोगी की सरकार को पराजित कर सरकार बनाई थी। बाद में पार्टी ने 2008 और 2013 में भी जीत हासिल की।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के विजय रथ को रोककर रमन सिंह के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया। कांग्रेस ने इस चुनाव में 90 सदस्यीय विधानसभा में से 68 सीट जीती थी। अब पांच साल बाद एक बार फिर चुनाव का बिगुल बज चुका है। दोनों प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं। विधानसभा के लिए दो चरणों में 7 और 17 नवंबर को मतदान होगा।
भगवा पार्टी को इस बार उम्मीद है कि वह इन 9 सीटों को जरूर जीतेगी। पार्टी ने इनमें से छह सीटों पर नए चेहरों को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी सांसद और पार्टी की चुनाव अभियान समिति के संयोजक संतोष पांडे ने शुक्रवार को पीटीआई से से कहा, "BJP ने उन सीट पर उम्मीदवारों के चयन पर विशेष ध्यान दिया है जिन पर वह कभी नहीं जीती है। सभी उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में पूरे उत्साह के साथ प्रचार कर रहे हैं और उन्हें लोगों से भारी समर्थन मिल रहा है।"
राज्य में एक साल पहले तक कांग्रेस अपनी लोकलुभावन योजनाओं और 'छत्तीसगढ़ियावाद' के दम पर आराम से एक बार फिर सरकार बनाने की स्थिति में दिख रही थी। पिछले कुछ महीनों में हालांकि परिदृश्य बदलता दिख रहा है। राज्य में BJP कथित घोटालों, तुष्टिकरण की राजनीति और 'धर्मांतरण' को लेकर बघेल सरकार के खिलाफ लगातार हमला कर रही है। BJP अब चुनावी रणनीति के तहत सरकार को भ्रष्टाचार और कुशासन के मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रही है।