Chhattisgarh assembly Elections 2023: बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुकाबले ठोस बढ़त बना ली है। ऐसे में कांग्रेस के राजनीतिक विशेषज्ञ इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि क्या बीजेपी द्वारा राज्य में घोटालों के बारे में किए गए प्रचार-प्रसार ने वोटरों का दिमाग बदलने में अहम भूमिका निभाई? राज्य की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी तकरीबन 54 सीटों पर आगे चल रही है। विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बीजेपी ने कोयला घोटाले, शराब घोटाले और महादेव बेटिंग ऐप के मामले में एंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के छापों का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी और राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। महादेव ऐप को लेकर आरोप है कि कांग्रेस और सीएम बघेल ने बेटिंग ऐप के प्रमोटर्स से 508 करोड़ रुपये हासिल किए।
चावल मिल घोटाले में एंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने आरोप लगाया था कि मार्कफेड (MARKFED) के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और राज्य चावल मिल एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों, जिला मार्केटिंग अधिकारी और कुछ राइस मिल के मालिकों ने गलत तरीके से 175 करोड़ रुपये बनाए। इसके अलावा, कथित मिनरल फंड घोटाले में ED की जांच में पता चला कि सीनियर ब्यूरोक्रेट्स, कारोबारियों, नेताओं और बिचौलियों के एक समूह ने मिलकर छत्तीसगढ़ में आने वाले कोयले पर 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से लेवी वसूली।
पीसीएस घोटाला छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग 2021 के नतीजों से जुड़ा है। इसके नतीजे इस साल जून में आए थे। बीजेपी ने इस परीक्षा के नतीजों में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। पार्टी का आरोप था कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और तय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। हालांकि, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने इन आरोपों से इनकार किया था।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जहां विकास का हवाला दे रही थी, वहीं बीजेपी के प्रचार तंत्र ने निवर्तमान सरकार की कथित गड़बड़ियों पर फोकस किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार के खिलाफ 'आरोप पत्र' दायर करते हुए उस पर घोटालों और लूट में शामिल होने का आरोप लगाया था। उन्होंने बघेल पर छत्तीसगढ़ को 'गांधी परिवार का एटीएम' बनाने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि इस सरकार ने भ्रष्टाचार के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कुछ महीने पहले तक बीजेपी के लिए यहां चुनाव जीतना काफी मुश्किल लग रहा था। पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां करारी हार का सामना करना पड़ा था और उसे सिर्फ 15 सीटें मिली थीं। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी यहां 25 साल तक सत्ता में रही थी।
बहरहाल, पक्के तौर पर यह नहीं कहा सकता है कि घोटालों ने नतीजों को प्रभावित किया, लेकिन इसकी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता।