Assembly Elections 2023 : नतीजों का भाजपा और कांग्रेस के लिए क्या मायने हैं, लोकसभा चुनावों पर क्या होगा इनका असर

कांग्रेस के लिए ये नतीजे अच्छे नहीं कहे जा सकते। वह सिर्फ तेलंगाना में सरकार बनाने जा रही है। उसने भारत राष्ट्र समिति (BRS) को सत्ता से बेदखल कर दिया है। राज्य की 119 सीटों में 71 पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। सिर्फ 36 सीटों पर बीआरएस के उम्मीदवार आगे हैं। कांग्रेस अपनी इस कामयाबी पर संतोष महसूस कर सकती है। लेकिन, सच यह है कि तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर थी। 2014 में तेलंगाना बनने के बाद से वह लगातार सत्ता में

अपडेटेड Dec 03, 2023 पर 12:33 PM
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लोकसभा चुनावों से पहले हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों के इतिहास को देखा जाए तो इन्हें वोटर्स के मूड का भरोसेमंद संकेत नहीं माना जा सकता। कई बार विधानसभा चुनावों के नतीजों के मुताबिक लोकसभा चुनावों के नतीजे रहे हैं। लेकिन, कई बार विधानसभा चुनावों के नतीजों से लोकसभा चुनावों के नतीजे उलट रहे हैं।

अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले सेमी-फाइनल माने जा रहे चुनावों के नतीजे आ गए हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के मतदाताओं ने अपना फैसला सुना दिया है। भाजाप तीन राज्यों में सरकार बनाने जा रही है। ये राज्य हैं-राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़। कांग्रेस तेलंगाना में सरकार बनाने जा रही है। चुनावों के नतीजे भाजपा के पक्ष में झुकते दिखाई दे रहे हैं। वह मध्य प्रदेश में सत्ता में लौटने में सफल रही है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया है। इस जीत से भाजपा कार्यकर्ताओं का हौसला मजबूत होगा। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का दबदबा बना रहेगा। मोदी मैजिक का आगे फायदा उठाने की गुंजाइश बनी रहेगी।

तेलंगाना जीतने के बाद भी कांग्रेस के हाथ खाली

कांग्रेस के लिए ये नतीजे अच्छे नहीं कहे जा सकते। वह सिर्फ तेलंगाना में सरकार बनाने जा रही है। उसने भारत राष्ट्र समिति (BRS) को सत्ता से बेदखल कर दिया है। राज्य की 119 सीटों में 71 पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। सिर्फ 36 सीटों पर बीआरएस के उम्मीदवार आगे हैं। कांग्रेस अपनी इस कामयाबी पर संतोष महसूस कर सकती है। लेकिन, सच यह है कि तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर थी। 2014 में तेलंगाना बनने के बाद से वह लगातार सत्ता में थे। वहां जमीनी स्तर पर भाजपा अभी मजबूत स्थिति में नहीं है। ऐसे में तेलंगाना के मतदाताओं के सामने कांग्रेस के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था।


विधानसभा चुनावों के नतीजे लोकसभा में जीत की गारंटी नहीं

हालांकि, लोकसभा चुनावों से पहले हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों के इतिहास को देखा जाए तो इन्हें वोटर्स के मूड का भरोसेमंद संकेत नहीं माना जा सकता। कई बार विधानसभा चुनावों के नतीजों के मुताबिक लोकसभा चुनावों के नतीजे रहे हैं। लेकिन, कई बार विधानसभा चुनावों के नतीजों से लोकसभा चुनावों के नतीजे उलट रहे हैं। हम 2018 का उदाहरण ले सकते हैं। तब हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में जीतने में सफल रही थी। लेकिन, अगले साल लोकसभा चुनावों में इन राज्यों में भाजपा ने ज्यादातर सीटें जीती।

मोदी मैजिक बरकरार

फिलहाल, इन चुनावों के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि वोटर्स में भाजपा की साख में किसी तरह की कमी नहीं आई है। दूसरी बात यह कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में करीब 10 साल तक रहने के बावजूद उनकी साख में किसी तरह की कमी नहीं आई है। यह भी कहा जा सकता है कि लोग मोदी पर उम्मीद की नजरों से देख रहे हैं। अब तक यह कहा जा सकता है कि वोटर्स विधानसभा चुनावों में अलग तरीके से सोचता है और लोकसभा चुनावों में अलग मसलों को ध्यान रखता है। लेकिन, जिस तरह छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत हासिल की है, उससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को लोकल नेतृत्व की परवाह नहीं है। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ के लोगों ने भाजपा को मौका दिया है।

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First Published: Dec 03, 2023 12:26 PM

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