Assembly Elections 2023: कर्ज में डूबे ये चुनावी राज्य, कैसे पूरे करेंगे जनता से किए लाखों करोड़ों रुपए के वादे
Assembly Elections 2023: इन दिनों आपको मध्य प्रदेश (MP), राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में हर दिन एक के बाद एक नई योजना या घोषणा का ऐलान सुनाई पड़ेगा और ऐसा हो भी क्यों न? इन राज्यों में विधानसभा चुनाव जो होने वाले हैं। ये जाहिर है कि सत्ता की कुर्सी तक जनता ही पहुंचा सकती है। इसलिए चुनाव जीतने से पहले जनता का दिल जीतना बहुत जरूरी है
Assembly Elections 2023: कर्ज के बोझ तले ये राज्य, चुनाव में कैसे पूरे करेंगे जनता से किए लाखों करोड़ों रुपए के वादे
Assembly Elections 2023: चुनाव की आहट हुई नहीं कि सरकारें और राजनीतिक दल अपने भंडार जनता के लिए खोल देते हैं। नई-नई योजनाओं और घोषणाओं से वोटर को लुभाने के लिए, स्मार्ट फोन से लेकर स्कूटी जैसे कई बड़े तोहफे बांटने का वादे कर देते हैं। जनता को लाखों करोड़ों रुपए की योजनाओं की सौगात देने की आए दिन खबरें आपको मिल ही जाती होंगी। इन दिनों आपको मध्य प्रदेश (MP), राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में हर दिन एक के बाद एक नई योजना या घोषणा का ऐलान सुनाई पड़ेगा और ऐसा हो भी क्यों न? इन राज्यों में विधानसभा चुनाव जो होने वाले हैं। ये जाहिर है कि सत्ता की कुर्सी तक जनता ही पहुंचा सकती है। इसलिए चुनाव जीतने से पहले जनता का दिल जीतना बहुत जरूरी है।
हार जीत की इस लड़ाई का एक दूसरा पहलू भी है और ये शायद ज्यादा गंभीर है। दरअसल ये तीनों राज्य ऐसे समय में लाखों करोड़ों रुपए की योजना का ऐलान कर रहे हैं, जब पिछले पांच साल में इनके ऊपर कर्ज बढ़ा है और ये सभी राज्य गहरे वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, राज्यों की कुल बकाया देनदारियां (Total outstanding liabilities) वित्तीय वर्ष 2019 में 1.9 लाख करोड़ रुपए थी। अब ये बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023 के बजट अनुमान में 3.66 लाख करोड़ रुपए हो गईं। इन पांच सालों के दौरान प्रतिशत के हिसाब से देखें, बकाया देनदारियों में सालाना बढ़ोतरी के मामले में तेलंगाना राजस्थान के बाद दूसरे नंबर पर था।
राजस्थान में का कर्ज बढ़ा और योजनाएं भी
सबसे पहले आते हैं राजस्थान पर...राज्य की बकाया देनदारियों में सालाना 17.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी आंकी गई है। राजस्थान सरकार का कर्ज मार्च 2019 में 3,11,854 करोड़ रुपए था, जो बढ़कर मार्च 2023 में 5,37,013 करोड़ तक पहुंच गया।
वहीं अगर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की तरफ से की गईं कुछ एक प्रमुख योजनाओं और उनके बजट पर एक नजर डाली जाए, तो सवाल उठता है कि कर्ज तले दबे होने के बावजूद लाखों करोड़ों रुपए की योजनाओं का अतिरिक्त भार राज्य सरकार कैसे उठा पाएगी?
उदाहरण के लिए राजस्थान सरकार महिलाओं को मुफ्त स्मार्टफोन देने की स्कीम लेकर आई। इसके तहत गहलोत सरकार पात्र महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए 1200 करोड़ रुपए का बजट खर्च कर रही है। राजस्थान मुफ्त मोबाइल योजना की लिस्ट में लगभग 1.33 करोड़ महिलाओं को मुफ्त मोबाइल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
वहीं सरकार ने 30,000 मेधावी छात्राओं को मुफ्त स्कूटी देने का भी ऐलान किया, जिसकी कुल 390 करोड़ रुपए की लागत है। इसके अलावा सरकार ने 70 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाले सिलेंडर देन का भी ऐलान किया, इससे घोषणा से राज्य सरकार पर हर साल लगभग 3,300 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इसी तरह राज्य सरकार की अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना है, जिसके तहत लाभार्थियों को हर महीने फेयर प्राइस शॉप (FPS) से अन्नपूर्णा फूड पैकेट मुफ्त मिलेंगे, जिसके लिए FPS को प्रति पैकेट 10 रुपए का कमीशन मिलेगा। राज्य सरकार इस योजना पर सालाना ₹4,500 करोड़ खर्च करेगी। CM गहलोत ने इस साल की शुरुआत में पेश किए गए 2023-24 के राज्य बजट में इस योजना की घोषणा की थी।
राजस्थान में सरकार ने नई युवा नीति के लिए 500 करोड़ रुपए का युवा कल्याण फंड बनाने का भी ऐलान किया। सभी भर्ती परिक्षा निशुल्क यानि फ्री में कराने की भी घोषणा हुई। इससे सरकार पर अतिरिक्त 200 करोड़ का बोझ बढ़ेगा।
इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जो पहले 500 रुपए प्रति माह मिला करती थी, गहलोत सरकार ने उसे बढ़ा कर 1000 रुपए कर दिया। खुद मुख्यमंत्री गहलोत ने बताया था कि इससे राजस्थान सरकार 12,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त बोझ बढ़ा है। अब अगर इन सभी योजना के बजट को जोड़ कर देखा जाए, तो ये करीब-करीब 7,990 करोड़ रुपए बैठ रहा है।
MP एक ही योजना का बजट 8,000 करोड़ रुपए
अब आते हैं मध्य प्रदेश पर, तो इन पांच सालों में मध्य प्रदेश का कुल कुर्ज 1,83,439 करोड़ रुपए बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2019 में मध्य प्रदेश सरकार का कर्ज 1,95,178 करोड़ रुपए थे, जो मार्च 2023 में बढ़कर 3,78,617 करोड़ हो गया। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव से पहले जनता को लुभाने के लिए कई बड़ी योजनाओं की घोषणा की हैं।
उदाहरण के लिए उनकी सबसे प्रमुख योजना है, लाडली बहना स्कीम... योजना के तहत 1.25 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने 1210 रुपए सरकार की तरफ से दिए जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार ने इस योजना के लिए बजट में शुरुआत में 8,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री ने ये भी ऐलान किया है कि अगर उनकी पार्टी आगामी चुनाव में वापसी करती है, तो महिलाओं को फिर 3000 रुपए प्रति माह दिए जाएंगे।
पार्टी की तरफ से उपलब्ध कराए गई डिटेल के अनुसार, सितंबर तक राज्य सरकार ने पिछले तीन महीनों में 1.25 करोड़ महिलाओं को लाडली बहना योजना के तहत 3,600 करोड़ रुपए वितरित किए हैं।
इसके अलावा राज्य ने 11.19 लाख किसानों का ब्याज माफ करने के लिए 2,123 करोड़ रुपए खर्च किए और अकेले पिछले तीन महीनों में पीएम किसान निधि के तहत 25,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
वहीं CM चौहान ने भोपाल में रक्षाबंधन से पहले सिलेंडर रिफिलिंग योजना की भी घोषणा की, जिसके तहत प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना और मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के सभी लाभार्थियों को 1 सितंबर से प्रति माह 450 रुपए में एक घरेलू एलपीजी सिलेंडर मिलेगा। इसकी अतिरिक्त बोझ भी राज्य सरकार के कंधों पर ही पड़ रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री ने लाभार्थी महिलाओं के खाते में रक्षा बंधन के दौरान 250 रुपए राखी शगुन भी भेजा।
छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी के लिए लोक लुभावन योजना
अब आते हैं छत्तीसगढ़ पर, तो इन पांच सालों में छत्तीसगढ़ के कर्ज में 10.6 फीसदी का इजाफा देखा गया है। मार्च 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार का कर्ज 68,982 करोड़ रुपए से बढ़कर 1,18,166 करोड़ (मार्च 2023) तक पहुंच गया।
छत्तीसगढ़ के लिए 2023-24 का बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में बेरोजगार युवाओं को 2,500 रुपए मासिक भत्ता देने की घोषणा की थी।
बघेल ने विधानसभा को बताया, "बेरोजगारों को भत्ता देने के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी। योजना के तहत 18 से 35 साल की उम्र के ऐसे बेरोजगार युवा, जिन्होंने 12वीं कक्षा पास की हो और जिनकी सालाना पारिवारिक आय 2.50 लाख से कम हो, उन्हें 2500 रुपए प्रति माह भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने इसके लिए 250 करोड़ रुपए का बजट तय किया।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ ग्रामीण आवास न्याय योजना की भी शुरुआत की गई। इस योजना के जरिए ग्रामीण इलाकों के लोगों को पक्के मकान उपलब्ध करवाए जाएंगे। ऐसे परिवार, जो पीएम आवास योजना के तहत छूट गए थे, उन्हें इस योजना के दायरे में लाया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से ग्रामीण आवास न्याय योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना की तर्ज पर शुरू की गई है। राज्य सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपए का बजट तय किया है। राज्य के उन सभी लोगों को इस योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा जो कच्चे मकान में रहते हैं।
यहां हमने सिर्फ कुछ ही योजनाओं के बारे में बात की, लेकिन गंभीर सवाल ये है कि साल-दर-साल बढ़ते कर्ज के बीच इन योजनाओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकारें आखिर पैसा कैसे जुटाएंगी? जनता के लिए लाई जानें वाली ये योजनाएं, आने वाली समय में जनता पर ही भारी न पड़ जाएं। साथ ही अगर इन राज्यों में सरकार बदलती भी हैं, तो आने वाली नई सरकार को भी इस समस्या का सामान तो करने ही पडे़गा।