Assembly Elections 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को झारखंड के खूंटी जिले में स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू का दौरा किया। इस दौरान उनकी जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उलिहातू का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी का स्थानीय लोगों ने ढोल और मांदर जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य करते हुए गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। यात्रा के दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद रहे। बता दें कि बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया। इसके बाद उन्होंने आदिवासी किंवदंती के वंशजों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने बिरसा मुंडा के जन्मस्थान की मिट्टी को पवित्र बताते हुए उससे 'तिलक' भी लगाया। प्रधानमंत्री मोदी ने खूंटी में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर 'विकासशील भारत संकल्प यात्रा' को हरी झंडी दिखाई।
प्रधानमंत्री मोदी ने 'जनजातीय गौरव दिवस' के अवसर पर विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PMVTG) के कल्याण के उद्देश्य से 24,000 करोड़ रुपये की योजना की शुरूआत की। वहीं, इस दौरान पीएम मोदी ने खूंटी में 7,200 करोड़ रुपये की कई अन्य विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। पीएम ने करोड़ों किसानों को तोहफ दिया है। पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 15वीं किश्त जारी कर दी है। योग्य किसानों को 18,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। मुंडा ने 9 जून, 1900 को यहीं पर अंतिम सांस ली थी। बिरसा मुंडा की जयंती पूरे देश में 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाई जाती है।
चुनावी राज्यों के आदिवासी वोटों पर BJP की नजर!
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने में आदिवासी वोटों की बड़ी भूमिका रही। यही वजह है कि मध्य प्रदेश में सत्ता में बरकरार रहने का बीजेपी का लक्ष्य हो या सत्ता में वापसी की कांग्रेस की कोशिशें...दोनों दलों के लिए आदिवासी मतदाता काफी अहम हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक जिसके साथ चल देगा सत्ता के दरवाजे उसी के लिए खुलेंगे। इसका असर इन दिनों राज्यों की राजनीति और चुनावी तैयारियों पर भी भरपूर देखा जा रहा है।
चुनाव में क्यों महत्वपूर्ण हैं आदिवासी वोटर्स?
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आदिवासी वर्ग की भूमिका सरकार बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण रही है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार का मुख्य कारण आदिवासी समर्थन कांग्रेस को मिलना था। कांग्रेस ने 2018 में आदिवासियों के लिए आरक्षित मध्य प्रदेश की 47 विधानसभा सीटों में से 30 पर जीत हासिल की थी। 2013 के चुनावों में बीजेपी ने भी इतनी ही सीटें जीती थीं।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने ST के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 25 सीटें जीतकर आदिवासी बहुल इलाकों में अपना दबदबा बनाया था। छत्तीसगढ़ में लगभग 31 प्रतिशत आदिवासी आबादी है। जबकि मध्य प्रदेश में करीब 105 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी वोट आधार मायने रखता है। इसके अलावा राजस्थान में भी एसटी के लिए 25 सीटें आरक्षित हैं।
आदिवासी बहुल सीटों पर चौतरफा दबदबा बनाते हुए बीजेपी ने 2019 में 303 लोकसभा सीटें हासिल की थी। बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव में 20 लोकसभा सीटों में से आठ सीटें जीतकर ओडिशा की राजनीति में धमाकेदार एंट्री की थी। बीजेपी ने 2019 में 47 आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीटों में से 31 पर जीत हासिल की।
सभी राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक आदिवासी आबादी है। इसमें कुल 230 में से 47 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। एमपी में पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी आरक्षित सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था।