Assembly Elections Result 2023: अगले साल 2024 से होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी ने ताबड़तोड़ रैलियां की हैं। 9 अक्टूबर को 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया गया था। सभी पांचों राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में मतदान पूरा हो चुका है। अब 3 दिसंबर को मणगणना होना है। वोटों की गिनती से 3 दिन पहले विभिन्न एग्जिट पोल ने किसी भी चुनावी राज्य में स्पष्ट बहुमत की भविष्यवाणी नहीं की है।
कांग्रेस के लिए बड़ा दांव
दो एग्जिट पोल्स ने मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत दिया है। चुनाव से पहले कांग्रेस की वापसी और मजबूत सत्ता विरोधी लहर की खबरों को खारिज कर दिया है। एग्जिट पोल्स की मानें तो राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। बता दें कि राजस्थान में हर पांच साल बाद मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने की 30 साल पुरानी परंपरा है। छत्तीसगढ़ में भी दोनों पार्टियां कड़ी लड़ाई में फंसी हुई हैं।
हालांकि कांग्रेस को बढ़त हासिल है, जबकि सबसे पुरानी पार्टी के तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) को सत्ता से बाहर कर बड़ा उलटफेर करने की भी भविष्यवाणी की गई है। वहीं, मिजोरम में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया गया है। यदि कांग्रेस इन कड़े मुकाबलों में विजेता बनकर उभरती है, तो यह कैडर को प्रेरित कर सकती है। साथ ही पार्टी को लोकसभा चुनावों से पहले पुनरुत्थान की राह पर ला सकती है।
BJP: उत्तर में मजबूत, दक्षिण में झटका
दूसरी ओर लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत की भविष्यवाणी बीजेपी को इन तीन हिंदी भाषी राज्यों में प्रमुख स्थिति में ला देगी। हालांकि, भगवा पार्टी के लिए मुख्य चिंता दक्षिण भारत में इसकी घटती उपस्थिति होगी, क्योंकि एग्जिट पोल में तेलंगाना में BJP के खराब प्रदर्शन की भविष्यवाणी की गई है। कुछ महीने पहले BRS के लिए मुख्य चुनौती की तरफ दिख रही बीजेपी को देश के सबसे युवा राज्य में तीसरे स्थान पर धकेल दिया गया है।
लोकसभा चुनाव पर नहीं होगा असर
विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टियां के कार्यकर्ता जोश से लबरेज होंगे, लेकिन इन चुनावों को लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मूड के रूप में देखना जल्दबाजी होगी। ऐसा देखा गया है कि लोग लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में अलग-अलग तरीके से वोट करते हैं। उदाहरण के तौर पर 2018 में इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देख लीजिए। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सत्ता से हटा दिया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में इन तीन राज्यों में विपक्षी पार्टी ने निराशाजनक प्रदर्शन दर्ज किया।
इन तीन राज्यों की कुल 65 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस मुश्किल से सिर्फ तीन सीटें ही जीत पाई। जहां वह राजस्थान (25 सीटें) में खाता खोलने में विफल रही। वहीं सबसे पुरानी पार्टी को मध्य प्रदेश (29 सीटें) में एक और छत्तीसगढ़ (11 सीटें) में दो सीटें मिलीं। 2019 में बीजेपी ने 303 सीटों का भारी जनादेश हासिल किया और कांग्रेस 51 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने तब बीजेपी की शानदार जीत का श्रेय पुलवामा में आत्मघाती हमले के जवाब में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नियंत्रण रेखा के पार आतंकी कैंपों पर हवाई हमलों को दिया।
इस कार्रवाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक निर्णायक नेता की छवि को और मजबूत कर दिया जो किसी भी कीमत पर भारत के प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला करने को तैयार है। 2019 के आम चुनाव प्रचार के दौरान उनकी पंच लाइन थी "हम घर में घुस के मारेंगे..."। माना जाता है कि इसके बाद देश भर में बढ़ा हुआ राष्ट्रवाद बीजेपी की भारी जीत के पीछे मुख्य कारणों में से एक था।
मोदी बनाम I.N.D.I.A. गठबंधन
2023 में पीएम मोदी देश में सबसे लोकप्रिय नेता और केंद्रीय व्यक्ति बने रहें जिनके इर्द-गिर्द बीजेपी अपनी चुनावी अभियान चलाई। 2019 में पीएम मोदी के सामने कोई मजबूत चुनौती नहीं थी। लेकिन 2024 में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव देखा जा सकता है, क्योंकि दर्जनों विपक्षी दल I.N.D.I.A. (Indian National Developmental Inclusive Alliance) गठबंधन के तहत एक साथ आ गए हैं। कई राज्यों में तीखी लड़ाई में उलझे रहने के बावजूद I.N.D.I.A. गठबंधन के घटक मोदी के खिलाफ एक साझा चेहरा पेश करने के लिए अपने मतभेदों को भुला सकते हैं।
ऐसा ही एक नाम चर्चा में है कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का, जिन्हें भारत के पहले दलित प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया जा सकता है। आखिरी बार कोई दलित नेता 1977 में प्रधानमंत्री बनने के करीब पहुंचा था जब जनता पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्ष के कारण बाबू जगजीवन राम की कुर्सी पर कब्जा कर लिया गया था। विपक्षी गुट के अन्य दावेदारों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की उनकी समकक्ष ममता बनर्जी शामिल हैं।