Assembly Elections 2023: सामाजिक समूहों ने विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों से दिव्यांगों की मांगों पर ध्यान देने की अपील की है। दिव्यांगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले समूहों ने राजनीतिक दलों से आगामी विधानसभा चुनावों में ऐसे लोगों की चिंता दूर करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सहानुभूति के नजरिये से देखे बिना उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनावों से पहले दिव्यांगजनों के अधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने एक वेबिनार में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने मांग की कि राजनीतिक दल दिव्यांगजनों के एजेंडे को महत्व दें।
'नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिस्एबल्ड पीपल' के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने पीटीआई से कहा, "यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हमारे अधिकारों को सामाजिक कल्याण या सहानुभूति के नजरिये से नहीं, बल्कि उस परिप्रेक्ष्य से देखा जाए जो हमारी अंतर्निहित गरिमा को समझता है। हम सरकार को आकार देने या नया रूप देने की ताकत रखते हैं और उस ताकत का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करना हमारा दायित्व है।"
'नेटवर्क ऑफ पर्सन्स विद डिस्एबिलिटी ऑर्गेनाइनेशन' के संस्थापक सदस्य एवं लोकोमोटर विकलांगता से पीड़ित एम श्रीनिवासुलु ने कहा, "हमें एकजुट होने की जरूरत है और प्रत्येक वोट के महत्व को समझते हुए सबसे पहले खुद को मतदाता के रूप में स्वीकार करना चाहिए। तेलंगाना में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 5,000 दिव्यांग है। एक निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक 11,000 विकलांग हैं। उन क्षेत्रों में जहां विकलांगजनों की आबादी अच्छी खासी है। हम सक्रिय रूप से काम में लगे हुए हैं और जागरुकता बढ़ा रहे हैं।"
बता दें कि देश के पांच राज्यों में 7 नवंबर से शुरू होकर 30 नवंबर तक कुल चार चरणों में मतदान होंगे। छत्तीसगढ़ में दो चरणों (पहले चरण का मतदान हो चुका है) में, जबकि बाकी राज्यों में एक ही दिन वोट डाले जाएंगे। सभी पांचों राज्यों के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। साल के ये आखिरी चुनाव सेमीफाइनल तो नहीं, लेकिन 2024 के आम चुनाव के लिए रिहर्सल जैसे जरूर हैं।