Assembly Election Results 2023: हिंदी प्रदेशों में कांग्रेस की हार के बाद I.N.D.I.A. गठबंधन का भविष्य अधर में

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की हार न सिर्फ पार्टी बल्कि पूरे इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका है। विपक्षी पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने के लिए इस साल के शुरू में इंडिया गठबंधन बनाया था। हालांकि, खुलकर यह बात नहीं की गई थी, लेकिन माना जा रहा था कि बीजेपी को रोकने के लिए बनाए गए इस गठबंधन में कांग्रेस अग्रणी भूमिका में रहेगी

अपडेटेड Dec 04, 2023 पर 6:17 PM
Story continues below Advertisement
अनुमानों के मुताबिक, कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह से इंडिया गठबंधन में नाराजगी दिख रही है।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की हार न सिर्फ पार्टी बल्कि पूरे I.N.D.I.A. (इंडिया) गठबंधन के लिए बड़ा झटका है। विपक्षी पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने के लिए इस साल के शुरू में इंडिया गठबंधन बनाया था। हालांकि, खुलकर यह बात नहीं की गई थी, लेकिन माना जा रहा था कि बीजेपी को रोकने के लिए बनाए गए इस गठबंधन में कांग्रेस अग्रणी भूमिका में रहेगी, क्योंकि उत्तर भारत के 6 राज्यों में दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला है। इसके अलावा, क्षेत्रीय पार्टियां अपने राज्यों तक ही सीमित हैं और बीजेपी को रोकने में बाकी विपक्षी पार्टियों की सीमित भूमिका है।

भरोसे के लायक नहीं रही कांग्रेस

उम्मीद की जा रही थी कि हाल में खत्म हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी बीजेपी को शिकस्त देने में सफल रहेगी और आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बेहतर मुकाबले की गुंजाइश बन सकेगी। कांग्रेस को अभी तीन हिंदी पट्टी राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। तीनों राज्यों में लोकसभा की कुल 65 सीटें हैं। यह साफ हो चुका है कि इंडिया (INDIA) गठबंधन अब द्विपक्षीय मुकाबले में बीजेपी को टक्कर देने में कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकता है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो चुका है।

बहरहाल, इंडिया गठबंधन में इस बात को लेकर भी आशंकाएं थीं कि अगर इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहता है, तो वह गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर ज्यादा आक्रामक हो सकती है। हालांकि, यह बात भी सच है कि कांग्रेस की जीत से विपक्ष को नई ऊर्जा मिलती और वह मजबूत होता। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार को हटाने का काम अब इंडिया काम के लिए और मुश्किल हो गया है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि 2019 के लोकसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को बंपर जीत मिली थी, जबकि कुछ ही समय पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इन राज्यों में जीत मिली थी।


इंडिया गठबंधन में नाराजगी

अनुमानों के मुताबिक, कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह से इंडिया गठबंधन में नाराजगी दिखी। विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि वह इन चुनावों में अवसरों का लाभ उठाने में असफल रही। उन्होंने कांग्रेस पर अक्खड़ रवैया अख्तियार करने का आरोप भी लगाया और कहा कि इस चुनाव में पार्टी ने अपने पार्टनर्स का खयाल नहीं रखा। मिसाल के तौर पर मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी द्वारा कुछ सीटों की मांग को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सीधे तौर पर खारिज कर दिया। साथ ही, कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने पार्टनर्स को संयुक्त रैलियों के लिए भी आमंत्रित नहीं किया। इंडिया गठबंधन की अन्य पार्टियों पहले ही बैठकों में कांग्रेस के रवैये से खुश नहीं थीं।

मुश्किल है आगे की डगर

पासा अब पलट चुका है और अब सीटों के बंटवारे और अन्य बातचीत में कांग्रेस पर अन्य विपक्षी पार्टियां हावी होने की कोशिश करेंगी। विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद बदले समीकरण की झलक इंडिया गठबंधन की अगली बैठक में देखने को मिलेगी। विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस ने इसके लिए 6 दिसंबर की तारीख तय की है। इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे का मसला भी फंस सकता है, क्योंकि कई पार्टियां राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं। हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली हार की वजह से मामला और जटिल हो सकता है। उदाहरण के तौर पर आम आदमी पार्टी पंजाब और दिल्ली में अपनी शर्तों पर काम करेगी, जबकि समाजवादी पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को लेकर उदार होने की संभावना नहीं है। पश्चिम बंगाल एक और मुश्किल राज्य है, जहां तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी भी अपनी मांगे रख सकती हैं।

विधानसभा चुनावों के बाद न सिर्फ कांग्रेस को सहयोगी पार्टियों को लेकर ज्यादा उदार होना पड़ेगा, बल्कि वह अब इंडिया गठबंघन के नेतृत्व का दावा करने की हालत में भी नहीं रहेगी। इस गठबंधन के लिए नेता का चुनाव भी मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इस पद के कई दावेदार हैं। सवाल यह है कि इस पद का दावेदार कौन होगा- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या राष्ट्रवादी कांग्रेस के मुखिया शरद पवार? इस सवाल का जवाब फिलहाल नहीं है।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Dec 04, 2023 6:10 PM

हिंदी में शेयर बाजारस्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंसऔर अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।