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डिस्क्लेमर

यहां दिए गए प्राइस एक्सचेंज की तरफ से मुहैया नहीं कराए गए हैं। ये CFD OTC मार्केट मेकर्स से लिए गए हैं और इसलिए ये भाव असल मार्केट से अलग हो सकते हैं। इसके मायने हैं कि ये भाव सिर्फ सांकेतिक हैं इसके आधार पर ट्रेडिंग नहीं किया जा सकता है। इसलिए, इस डेटा का उपयोग करने के बाद अगर आपको कोई नुकसान होता है तो उसके लिए मनीकंट्रोल जिम्मेदार नहीं होगा।

ग्लोबल मार्केट न्यूज

ग्लोबल इंडेक्स से जुड़े FAQ

100 के बेस पीरियड के आधार पर यह इंडेक्स निवेशकों को शंघाई स्टॉक एक्सचेंज के परफॉर्मेंस का सही अंदाजा देता है। अलग-अलग लिस्टेड शेयरों के उतार-चढ़ाव और रूझानों के आधार पर शंघाई कंपोजिट चीन के फाइनेंशियल मार्केट की सेहत और डायरेक्शन का आंकलन बताता है।

शेयर बाजार में इंडेक्स के जरिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों की तुलना की जा सकती है। इसे एक काल्पनिक पोर्टफोलियो की तरह माना जा सकता है। ग्लोबल इंडेक्स से निवेशकों को यह जानने में मदद मिलती है कि किस स्टॉक या शेयर बाजार में निवेश करना है।

ग्लोबल इंडेक्स से निवेशक दुनिया भर के शेयर बाजारों के परफॉर्मेंस का जायजा ले सकते हैं। जैसे भारतीय मार्केट का अंदाजा सेंसेक्स से लगाया जा सकता है।

ग्लोबल सूचकांक क्या हैं ?

ग्लोबल इंडेक्स के जरिए दुनिया भर के शेयर बाजारों के प्रदर्शन को समझा जा सकता है। MSCI वर्ल्ड इंडेक्स में 23 विकसित देशों के मिडकैप और लार्ज कैप स्टॉक्स शामिल हैं। और यह दुनियाभर के करीब 85 फीसदी फ्री एडजस्टेड मार्केट कैप को कवर करता है। दूसरे अहम ग्लोबल स्टॉक मार्केट सूचकांकों में सेंसेक्स-निफ्टी, CAC, DAX और FTSE शामिल हैं।

अगर हम आसान शब्दों में कहें तो ग्लोबल इंडेक्स से वैश्विक शेयर बाजार की ताकत और कमजोरियों का जायजा मिलता है।

आमतौर पर इंडेक्स में कुछ हाइली लिक्विड और वैल्यूएबल शेयरों को एक सैंपल के तौर पर लिया जाता है। और इन्हीं को एक इंडेक्स बना लिया जाता है। ऐसे में होता ये है कि जैसे ही ये इंडेक्स ऊपर या नीचे जाते हैं तो शेयरों की चाल का भी पता चलता है।

आमतौर पर यही माना जाता है कि जब ग्लोबल इंडेक्स ऊपर जाते हैं तो वर्ल्ड स्टॉक मार्केट पॉजिटिव है। और जब ग्लोबल इंडेक्स नीचे जाते हैं तो यह मान सकते हैं कि ग्लोबल मार्केट में कमजोरी है।

ग्लोबल इंडेक्स की क्या भूमिका होती है ?

ग्लोबल इंडेक्स (LIVE) से वैश्विक शेयर बाजार या ग्लोबल मार्केट इनवेस्टमेंट्स का एक अंदाजा लगता है। ग्लोबल इंडेक्स की एक बड़ी खासियत ये है कि इससे शेयरों के प्रदर्शन का पता चलता है।

इससे निवेशकों को यह समझने में मदद मिलती है कि उन्हें किन शेयरों में निवेश करना चाहिए और किनसे दूर रहना चाहिए।

दूसरे देश ग्लोबल इंडेक्स के जरिए ही शेयर बाजार की चाल को समझते हैं। इसलिए ग्लोबल इंडेक्स दूसरे सूचकांकों के लिए रोल मॉडल की तरह काम करते हैं।

ग्लोबल इंडेक्स का कैलकुलेशन कैसे किया जाता है ?

वर्ल्ड मार्केट की इंडेक्स कमिटी ने जो पैमाने तय किए हैं, उसी के आधार पर ग्लोबल इंडेक्स का कैलकुलेशन किया जाता है। इंडेक्स कैलकुलेशन का पहला तरीका वेटेड एवरेज मैथमेटिक्स है जो आमतौर पर प्राइस वेटेड इंडेक्स होता है लेकिन धीरे-धीरे मार्केट कैप वेटेड की तरफ शिफ्ट हो जाता है।

भारतीय शेयर बाजार पर ग्लोबल इंडेक्स का कैसे असर पड़ता है ?

भारतीय शेयर बाजार पर मैक्रो और माइक्रो इकोनॉमिक से जुड़ी कई वजहों का असर पड़ता है। मैक्रोइकोनॉमिक जहां पूरी इकोनॉमी या सेक्टर्स पर असर डालता है वहीं माइक्रोइकोनॉमिक का असर शेयरों के परफॉर्मेंस पर नजर आता है।

ग्लोबलाइजेशन के बाद भारतीय शेयर बाजार ग्लोबल मार्केट के साथ ज्यादा इंटिग्रेटेड ढंग से काम कर रहा है जिसकी वजह से वैश्विक बाजार का असर इंडियन मार्केट पर साफ नजर आता है। इसका मतलब ये है कि ग्लोबल मार्केट के उतारचढ़ाव को भारतीय बाजार से भी समझा जा सकता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक या FPI इसी को आधार बनाकर शेयर खरीदते या बेचते हैं। इसका मतलब ये है कि अगर NASDAQ में बड़ी गिरावट आती है तो भारतीय बाजार का भी टूटना तय है।