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हाजीपीर चौकियां छोड़ने के शास्त्री जी के फैसले के खिलाफ महावीर त्यागी ने दे दिया था इस्तीफा

1966 में देश के लिए एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया था लेकिन आज राजनीतिक स्वार्थ के लिए सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 20, 2024 पर 11:04 AM
हाजीपीर चौकियां छोड़ने के शास्त्री जी के फैसले के खिलाफ महावीर त्यागी ने दे दिया था इस्तीफा

सुरेंद्र किशोर

जब-जब पाक सीमा पर आतंकवादियों की हलचल बढ़ती है, केंद्रीय मंत्री महावीर त्यागी के इस्तीफे की याद आती है। दिवंगत त्यागी ने ताशकंद समझौते की कुछ शर्तों से असहमत होकर सन 1966 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। स्वतंत्रता सेनानी महावीर त्यागी ने तब कहा था कि 1965 के युद्ध में जीती गई हाजीपीर की चैकियां भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन्हें वापस नहीं किया जाना चाहिए था।

इसके बावजूद ताशकंद में सोवियत संघ के जोर देने पर हमारे मंत्री स्वर्ण सिंह और वाई.बी.चव्हाण ने प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को इस बात के लिए मना लिया कि हाजीपीर के मोर्चे से हम अपनी सेना को वापस बुला लें। त्यागी मानते थे कि "हाजीपीर सैनिक दृष्टि से इतना अहम स्थान है कि जिस सेना का इस मोर्चे पर कब्जा होगा, उसे किसी भी हालत में हटाना संभव नहीं हो सकता।

और, बिना इस मोर्चे को अपने हाथ में लिए हमें कश्मीर के उस हिस्से को कब्जे में लेना असंभव है जिसे पाकिस्तान ने हड़प रखा है। महावीर त्यागी को इस बात का अफसोस था कि खुद प्रधान मंत्री शास्त्री जनता के समक्ष किए गए अपने वायदे को भूल गए।

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