जनता के बीच प्रसिद्द अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 यानी आज ही के दिन उन्होंने तीसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया।
बता दें कि साल 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में BJP देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इसमें पहली बार बाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाया गया था। लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने के चलते यह सरकार 13 दिन में ही गिर गई थी।
इसके बाद जब साल 1998 में लोकसभा चुनाव हुए तो इस चुनाव में BJP ने जीत हासिल की और अटल के सिर पर फिर पीएम का ताज पहनाया गया। लेकिन यह सरकार 13 महीने में ही गिर गई। इसमें जयललिता ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद फिर से चुनाव हुए। जिसमें वाजपेयी को फिर से पीएम बनाया गया और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। यानी पूरे 5 साल प्रधानमंत्री रहे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार पीएम पद की शपथ ले रहे थे तो उनको कई लोगों ने कहा कि 13 नंबर आपके लिए लकी नहीं है इसलिए आप किसी और दिन शपथ लीजिए, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने किसी की बात नहीं मानी और उन्होंने 13 अक्टूबर को ही शपथ ग्रहण किया। उनकी सरकार पूरे 5 साल चली। हालाकि 2004 के चुनाव में 13 मई को वोटों की गिननी में BJP को सत्ता गंवानी पड़ी थी। इस चुनाव में वाजपेयी ने 13 अप्रैल को नामांकन दाखिल किया था।
जब अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। तब पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने। वाजपेयी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्य सभा में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है।